छत्तीसगढ़बिलासपुर

प्राइवेट स्कूल की मनमानी क्लास रूम में ना ब्लैक बोर्ड ना डोर ना पंखा ना टॉयलेट ना ही प्रयोग शाला जुगाड़ में चल रहा स्कूल अधिकारी मौन…पढ़े पूरी ख़बर

बिलासपुर :- पचपेड़ी तहसील के आसपास एक ऐसा भी प्राइवेट स्कूल है जहां बच्चों के लिए किसी प्रकार की कोई भी सुविधा नहीं है यह प्राइवेट स्कूल संचालक जमकर लापरवाही कर रहे हैं दीवाल उठाकर ऊपर टिन लगाकर यहां नर्सरी से 12वीं तक की पढ़ाई कराई जा रही है यहाँ ना ही बाथरूम हैं ना ही टॉयलेट है और ना ही बच्चों के लिए क्लास रूम में पंखे लगे हुए हैं ना ही ब्लैक बोर्ड है ना ही योग्य शिक्षक हैं जो है वह गिनती के हैं फिर भी यह स्कूल धड़ल्ले से संचालित हो रहा है बकायदा यहां बच्चों का एडमिशन कराया जाता है|

भले ही वह बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हो या ना पढ़ रहे हो परंतु गवर्नमेंट से ये RTE का फीस भी बराबर हर साल ले रहे हैं और फर्जी तरीके से गवर्नमेंट को चूना लगा रहे हैं ऐसा नहीं है कि मस्तूरी में शिक्षा विभाग में बैठे अधिकारियों की इसकी जानकारी नहीं है इसकी जानकारी नोडल अधिकारियों को भी है तभी तो नोडल अधिकारी RTE के डॉक्यूमेंट में आँख बंद कर के साइन कर देते हैं और इनको RTE का पैसा मिल जा रहा है इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि जिन बच्चों का ये सरकार से RTE का पैसा ले रहे हैं वह बच्चे इनके स्कूल में पढ़ भी रहे हैं या नहीं,यह कहना मुश्किल है कि मुख्यालय में बैठे शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों की इसकी जानकारी है कि नहीं है और अगर नहीं है तो यह अधिकारी इन प्राइवेट स्कूलों की जानकारी क्यों नहीं ले रहे हैं|

क्यों बच्चों को कबाड़ जैसे व्यवस्था के बीच पढ़ने को मजबूर किया जा रहा है क्या ऐसे में इन बच्चों का भविष्य खराब नहीं होगा क्या ऐसे में यह बच्चे अच्छे शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं क्या ऐसे स्कूलों में पढकर बच्चों का भविष्य गढ़ा जा सकता है ऐसे कई अनगिनत सवाल है जो शिक्षा विभाग में बैठ बड़े अधिकारियों को इन प्राइवेट स्कूल के संचालकों से पूछना होगा और इसकी जवाब भी जल्द से जल्द उच्च अधिकारियों को तलाशना होगा ताकि इन बच्चों की भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो सके बच्चों का भविष्य अधर में न लटक जाए दरअसल क्षेत्र में अधिकारियों के उदासीनता का इन प्राइवेट स्कूलों के संचालक पूरा फायदा उठा रहे हैं बिना बिल्डिंग के बिना किसी सुविधा के स्कूल खुल जा रहा है और गवर्नमेंट से मान्यता भी मिल जा रही हैं और इन स्कूलों को कमाई का एक जरिया बना लिया जिससे कहीं ना कहीं बच्चों का भविष्य प्रभावित जरूर हो रहा है आपको बताते चले ये स्कूल के संचालक गवर्नमेंट से मान्यता तो ले लेते हैं पर बच्चों को वह सुविधा मुहैया नहीं करा पा रहे हैं जिसके वह हकदार है बच्चों से फीस तो बराबर ले रहे हैं पर बच्चों को अच्छी शिक्षा अच्छा स्कूल खेल मैदान क्लासरूम और क्लास में मिलने वाली वो सारी सुविधाएं नहीं दे पा रहे हैं बस यह खुद का विकास करने में लगे हुए हैं देखना होगा शिक्षा विभाग में बैठे उच्च अधिकारी कब इन जुगाड़ में चला रहे प्राइवेट स्कूल संचालकों पर कार्रवाई करते है।

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