दिल्ली

आवला नवमी की व्रत कथा ना पढ़ने से पूजा होती हैं अधूरी, देखे आवला नवमी की व्रत कथा

Aavala Navami : हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का दिन बेहद ही शुभ माना गया है। इस दिन श्रीहरि विष्णु और शिव जी की पूजा करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसे आवला नवमी भी कहा जाता हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस दिन ही सतयुग की शुरुआत हुई थी। आवंला नवमी के दिन लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करते है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन अक्षय नवमी की व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। अन्यथा आवंला नवमी की पूजा अधूरी मानी जाती है

आवला नवमी व्रत कथा

शास्त्रों में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार, बहुत समय पहले एक गांव में एक सेठ था। हर साल आंवला नवमी के दिन वह ब्राह्मणों को आंवले के पेड़ के नीचे बैठाकर भोजन कराया करता था। भोजन कराने के साथ ही सोना-चांदी आदि भेट में देता था। लेकिन यह सब करा सेठ के बेटों को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। ऐसे में सेठ के बेटे इस बात पर अपने पिता से झगड़ा करते थे। इन सब चीजों से तंग आकर सेठ ने अपना घर छोड़ दिया और दूसरे गांव में जाकर बस गया। दूसरे गांव में बसने के बाद सेठ ने अपने जीवन यापन के लिए एक छोटी सी दुकान खोल ली. साथ ही, सेठ ने अपनी उस दुकान के आगे एक आंवले का पेड़ लगाया. भगवान की कृपा से वह दुकान बहुत अच्छी चलने लगी. इसके अलावा, वह सेठ अपने नियम को न तोड़ते हुए हर साल आंवला नवमी के दिन विधिवत पूजा करने के साथ ब्राह्मणों को भोजन कराता था और दान देता था। वहीं, दूसरी ओर सेठ के बेटों का सारा व्यापार ठप हो गया. ऐसे में सेठ के बेटों को समझ आया कि वे अपने पिता के भाग्य से ही खाते और कमाते थे. अपनी गलती समझ कर वे अपने पिता के पास गए और अपनी गलती की माफी मांगी. फिर पिता के कहने के बाद सेठ के पुत्रों ने भी आंवले के पेड़ की पूजा करनी शुरू की और दान-दक्षिणा करने लगे. इसके प्रभाव से सेठ के बेटों के घर पहले की तरह खुशहाली छा गई और वे सभी फिर से मिलकर सुख-समृद्धि के साथ रहने लगे.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button