मस्तूरी:- ग्राम खैरा जयरामनगर में विराजित सत्य, त्याग, समर्पण, और वात्सल्य की देवी सती माता के भक्ति भाव को जन-जन तक पहुँचाने हेतु उमेश कुमार श्रीवास के द्वारा रचित सती सागर महिमा और सती चालीसा कृतियों पर चर्चा परिचर्चा के साथ भव्य लोकार्पण सती धाम में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ दिनांक 17 नवंबर 2024 को सम्पन्न हुआ।
ज्ञातव्य हो कि इन दोनों कृतियों का विमोचन 8 नवंबर 2024 को माननीय मुख्यमंत्री अरुण साव जी छत्तीसगढ़ शासन के कर कमलों से प्रदेश मुख्यालय रायपुर में बहुत ही भव्यता के साथ हुआ था।
सती धाम के इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के जाने-माने साहित्यकारों की उपस्थिति रही। जिसमें कार्यक्रम अध्यक्ष अरुण कुमार तिवारी वरिष्ठ साहित्यकार जांजगीर चांपा, मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. रूपेंद्र कवि उपसंचालक बिलासपुर, विशिष्ट अतिथि के रूप में सूरजदास मानिकपुरी सहायक संचालक बिलासपुर, तिलोत्तमा पांडे वरिष्ठ साहित्यकार रामपुर कोरबा, कौशल महंत कौशल संस्थापक अध्यक्ष कला कौशल साहित्य संगम जन सेवा संस्थान एवं शुभदा प्रकाशन मौहाडीह जांजगीर चांपा की उपस्थिति में कवियों द्वारा मां सती जी की गुणगान करती रचनाओं का काव्य पाठ से वातावरण भक्तिमय हो गया। ग्राम खैरा के पधारे श्रोताजनों की वाहवाही और जयकारों ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिया। जगतारन डहरे के संचालन में काव्य पाठ करने वाले उपस्थित कवि जनों मे दशरथ मतवाले, डॉ.दुर्गा प्रसाद मेरसा, टेकचंद पंडाल, हरीश पंडाल, करुणेश पटेल, व्यास सिंह ठाकुर, गुमसुम कोटमी सोनार, त्रिवेणी गढ़ेवाल भदौरा, रामकुमार पटेल मुड़पार तेंदुवा, नरेंद्र वैष्णव सक्ती आदि के द्वारा बहुत ही सुंदर ढंग से काव्यपाठ किया गया। उपस्थित ग्रामीणों में मनमोहन यादव, दिलीप साहू, लखन साहू, लखन यादव, हरिश्चंद्र साहू, सुनील निर्मलकर, राजा महंत, दीपक श्रीवास, आशा देवी श्रीवास, हर्षिता श्रीवास दर्शिता श्रीवास, साधु सिदार, मिठाई लाल साहू, लल्लू यादव, गणेश राम साहू, कुलदीप मिश्रा उपस्थित रहे।
अतिथियों और कवियों के द्वारा उमेश कुमार श्रीवास की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा गया, आज के इस युग में इस तरह भक्ति भाव पर कलम चला पाना बहुत ही साहस और समर्पण का कार्य है, किंतु इस कठिन कार्य को भी उमेश कुमार श्रीवास ने मन लगाकर किया। अतः छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों में उमेश कुमार श्रीवास का अलग ही स्थान बन गया है, इन भक्तिमय कृतियों के प्रकाशन पर ग्राम खैरा जयरामनगर के साथ-साथ आसपास के कई गांव में हर्षोल्लास का माहौल बना हुआ है।
साहित्य की राह में उमेश श्रीवास के आगे बढ़ाने की कामना के साथ सुबह 11:00 से लेकर देर शाम तक कार्यक्रम चलता रहा।
आयोजक के रूप में उमेश श्रीवास के द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथि एवं संचालक महोदय व कवियों एवं ग्रामीणों को धन्यवाद करते हुए आभार ज्ञापित किया गया।