गुरु घासीदास जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
डॉ प्रकाश अनन्त ने अपने शब्दों में कहा है कि सत्य, करुणा और मानवता के प्रतीक गुरु घासीदास जी ने समाज को सत्य के मार्ग पर चलने और समानता का संदेश दिया।
आइए, हम उनके आदर्शों को अपनाकर समाज में भाईचारा, शांति और सद्भावना का संचार करें।
जय सतनाम!”
गुरु घासीदास जी का जन्म 18 दिसंबर 1756 को छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी गांव में हुआ था। वे एक साधारण किसान परिवार में जन्मे थे। उनके पिता महंगू दास और माता अमताई थीं। जीवन के प्रारंभिक समय में ही गुरु घासीदास जी ने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद, भेदभाव और अन्य सामाजिक बुराइयों को देखा और उनके खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प लिया।
सतनाम पंथ की स्थापना
गुरु घासीदास जी ने “सतनाम पंथ” की स्थापना की, जिसका मूल आधार “सत्य” था। उन्होंने लोगों को यह शिक्षा दी कि सत्य ही ईश्वर है और मानव को सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। उनका नारा “सतनाम का जाप करो और सत्य के मार्ग पर चलो” आज भी उनके अनुयायियों का पथप्रदर्शन करता है।
भेदभाव के खिलाफ संदेश
गुरु घासीदास जी का सबसे प्रसिद्ध संदेश था – “मनखे-मनखे एक समान”। इसका अर्थ है कि सभी मनुष्य समान हैं, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म या वर्ग के हों। उन्होंने समाज में व्याप्त छुआछूत और भेदभाव का कड़ा विरोध किया और समानता का संदेश फैलाया।
तपोभूमि गिरौदपुरी
गिरौदपुरी को गुरु घासीदास जी की तपोभूमि माना जाता है। यहीं पर उन्होंने कठोर तपस्या की और सत्य की खोज की। गिरौदपुरी धाम आज सतनाम पंथियों के लिए एक पवित्र स्थल है, जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन और प्रार्थना के लिए आते हैं।
गुरु घासीदास जी की शिक्षाएं
1. सत्य को अपनाओ – सत्य का अनुसरण ही जीवन का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।
2. भेदभाव से दूर रहो – सभी मनुष्य समान हैं और किसी में कोई ऊंच-नीच नहीं है।
3. अहिंसा का पालन करो – हिंसा से दूर रहकर प्रेम और भाईचारे का प्रचार करो।
4. सादा जीवन, उच्च विचार – सादगी और ईमानदारी से जीवन बिताओ।
गुरु घासीदास जी के उपदेशों ने समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाया। उन्होंने गरीबों, दलितों और शोषितों को समानता और सम्मान का अधिकार दिलाने के लिए कार्य किया। उनके अनुयायी आज भी “सतनाम” के पथ पर चलते हुए समाज में शांति, भाईचारे और सद्भाव का संदेश देते हैं।
गुरु घासीदास जी के विचार और शिक्षाएं समय के साथ और प्रासंगिक होती जा रही हैं। छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में उनके अनुयायी उनकी जयंती को बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
उनकी शिक्षाएं हमें यह प्रेरणा देती हैं कि हम सत्य, अहिंसा और समानता के मार्ग पर चलें और समाज में प्रेम और भाईचारा स्थापित करें।
“गुरु घासीदास जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
सतनाम के महान संत गुरु घासीदास जी के सत्य, अहिंसा और समानता के विचार हमें हमेशा सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते रहें।
उनकी शिक्षाओं से प्रेरित होकर हम समाज में प्रेम, सद्भावना और एकता का संदेश फैलाएं।
*”जय सतनाम।”*