बिलासपुर/ मस्तूरी शिक्षा विभाग में लापरवाही का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही लगातार देखी जा रही है शिक्षक टाइम से नहीं पहुंच रहे हैं और जब इनसे पूछा जाता है कि लेट होने का क्या कारण है तो यह कई प्रकार की बहाने बनाते हैं जैसे मोबाइल भूल जाना धान कटवाना शादी में जाना या मीटिंग में होने की बात कहना पर इन सब से एक बात साफ है कि यह अपने आप को बहाने बनाकर तो बचा लेते हैं पर बच्चों के भविष्य के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है उसका क्या ताज्जुब की बात तो ये है कि इन सरकारी स्कूलों में न सिर्फ शिक्षक बल्कि हेड मास्टर और प्रधान पाठक भी नदारत मिल रहें हैँ इनको अपनी बच्चों की बहुत चिंता होती है ये अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा लिखा कर अच्छी शिक्षा देकर उनका भविष्य सुधारना चाहते हैं बनाना चाहते हैं पर जिन बच्चों की भविष्य सुधारने संवारने की जिम्मेदारी इनके कंधे हैँ जिनके लिए ये पैसा सरकार से लेते हैँ वहां ये टाइम पे नहीं पहुंच रहें क्या ऐसे में सुधर जायेगा सरकारी स्कूलों का हाल चाहे राज्य और केंद्र की सरकार सरकारी स्कूलों की दशा सुधारनें करोड़ों खर्च कर ले पर जब तक एक जिम्मेदार ब्यक्ति को शिक्षा विभाग के शीर्ष पद पर नहीं बैठाया जायगा हाल ऐसा ही रहेगा जब तक बी ई ओ ऑफिस में बैठे ये अधिकारी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन फील्ड में उतर कर नहीं निभाएंगे तब तक भूल जाए की यहाँ सुधार होगा मस्तूरी शिक्षा विभाग में पुरे जोंधरा से खोद्रा तक सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल हैँ कारण सिर्फ इतना हैँ की अधिकारी कमजोर हैँ और इनकी कमजोरी का फायदा लापरवाह शिक्षक उठा रहें हैँ आज एक स्कूल ऐसा भी मिला जहाँ 10:25 तक कोई शिक्षक ही नहीं पंहुचा था यहाँ चार शिक्षक पदस्त हैँ हमने जब उनसे पूछा तो उन्हीने मोबाइल भूलने की वजह से लेट होना बताया यहाँ इनके आने तक स्कूल नहीं लगी थी वही एक अन्य स्कूल में हेड मास्टर 11 बजे तक नहीं पहुंचे थे और बच्चे बताते हैँ की जब इनकी मन होती हैँ आते हैँ मन नहीं होती तो नहीं आते ये सिलसिला लगातार जारी हैँ अब लापरवाह शिक्षकों पर सवाल उठाना गलत हैँ क्यों की इनकी तो आदत हो गई हैँ पर आदत बिगड़नें किसने दिया अगर शुरू से ही इनकी लापरवाही पर नकेल कसी जाती तो शायद आज ये हाल नहीं होता जीन जिम्मेदारो पर मस्तूरी शिक्षा विभाग की पूरी बाग डोर हैँ बावजूद इसके ये कमजोर पड़ रहें हैँ या यू कहें की इनसे संभाला नहीं जा रहा जिसके वजह से लगातार ऐसी लापरवाही बरती जा रही हैँ ये सिलसिला महीनों से चल रहा हैँ बावजूद इसके अगर सुधार नहीं हो रहा तो ये किसकी गलती किसकी कार्यशैली पे सवाल खड़े करती हैँ और हैरानी तब होती हैँ जब लगातार ऐसी लापरवाही होने के बाद भी कोई सुधार के लिए ठोस कदम नहीं उठाये जाते।
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