Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ 2025 का शुभारंभ संगम की पावन धरा पर अद्वितीय भव्यता और आस्था के साथ हुआ है। अमृत स्नान के प्रथम दिन का दृश्य अद्वितीय और दिव्य है। नागा साधुओं और पूज्य संत-संन्यासियों की उपस्थिति ने इस अवसर को और भी आध्यात्मिक बना दिया है।
शाही स्नान के दौरान संतों का यह अनुपम दृश्य देखने के लिए लाखों श्रद्धालु संगम घाट पर उमड़ पड़े हैं। पंचायती निर्वाणी अखाड़ा के संतों से शुरू होकर, 13 प्रमुख अखाड़ों के साधु-संन्यासी अपने निर्धारित समय में स्नान कर रहे हैं। हाथों में तलवार, त्रिशूल और डमरू के साथ नागा साधुओं का यह संगम में प्रवेश अत्यंत भव्य और दिव्य अनुभव कराता है।
राजसी शाही स्नान की महत्ता
शाही स्नान को भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसे ‘देव दुर्लभ’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि देवताओं के लिए भी यह स्नान दुर्लभ और विशेष माना गया है। संतों और श्रद्धालुओं के लिए यह अवसर न केवल धर्म-कर्म का, बल्कि आत्मिक शुद्धिकरण का प्रतीक है।
व्यवस्था और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को संभालने के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है। घाटों पर पुलिस, एनडीआरएफ, और वॉलंटियर्स की तैनाती की गई है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। इसके साथ ही, घाटों पर श्रद्धालुओं के सुगम स्नान के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।
आज का यह दिन हर श्रद्धालु के लिए अद्भुत और अलौकिक अनुभूति लेकर आया है। महाकुंभ के इस ऐतिहासिक आयोजन ने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को एक नई ऊंचाई दी है।