छत्तीसगढ़

सरकार की एजेंसी EOW ने 38 महीने में केवल एक प्रकरण किया दर्ज..! आखिर क्या है वजह..?

रायपुर। विधानसभा में आज सरकार ने उन मामलों की जानकारी दी जो कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में EOW द्वारा दर्ज की गई। इस सूची पर गौर किया जाये तो अप्रैल 2018 से लेकर दिसंबर 2020 तक 18 प्रकरण दर्ज किये गए। इसके बाद 2023 तक केवल और केवल एक ही मामला दर्ज किया गया। मतलब सरकार की जांच एजेंसी EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण विंग) को अब तक आर्थिक अपराध के कोई भी मामले नहीं मिले..!

सदन के प्रश्नोत्तर काल में विधायक आशाराम नेताम ने सवाल किया कि अप्रैल 2018 से लेकर 2023 तक प्रदेश में EOW द्वारा कितने मामलों में FIR दर्ज किया गया और उनकी क्या स्थिति है। इसके जवाब में बताया गया कि राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में 01 जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2023 तक की अवधि में धारा 420 भादवि के तहत 19 प्रकरण पंजीकृत किये गये है, जिसमें से 02 प्रकरण में न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया है, 01 प्रकरण में अभियोजन स्वीकृति हेतु संबंधित विभाग को भेजा गया है जो अभी तक अप्राप्त है, 01 प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विवेचना पर रोक लगायी गई है, शेष 15 प्रकरण विवेचनाधीन है। लोक अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बाद भी अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं किये जाने वाले प्रकरण निरंक है।

ये हैं EOW द्वारा दर्ज मामले

सरकार ने अपने जवाब में कुल 19 मामलों की जानकारी दी है, जिसमें FIR दर्ज किये गए हैं। जरा इन पर नजर डालिये :

नई सरकार में ED ने दर्ज कराये यह मामले

छत्तीसगढ़ में भाजपा की विष्णुदेव सरकार के आने के बाद ED ने उन 4 मामलों में EOW में FIR दर्ज कराई, जिनकी वह जांच कर रही थी। इनमें कोल लेवी वसूली, शराब घोटाला, कस्टम मिलिंग और DMF घोटाला शामिल है।

कुल मिलाकर आखिरी के 5 मामले EOW ने स्वयं दर्ज नहीं किये बल्कि दूसरी एजेंसी द्वारा दर्ज कराये गए हैं। और वर्तमान स्थिति यह है कि अब भी इस जांच एजेंसी की कोई सक्रियता नजर नहीं आ रही है।

ED की कार्रवाई के दौरान तटस्थ रहा EOW

सरकार द्वारा दी गई जानकारी और वर्तमान स्थिति पर अगर गौर करें तो आखिरी के एक प्रकरण को छोड़कर कुल 38 महीने की अवधि होती है और इस बीच प्रदेश में भाजपा की सरकार सत्तारूढ़ हो जाती है। 9 दिसंबर 2020 के बाद EOW ने एक बैंक प्रबंधन द्वारा की गई शिकायत पर कोर्ट के आर्डर पर FIR दर्ज किया था। इसको छोड़कर कोई भी प्रकरण सामने नहीं आया। यह वही कार्यकाल है जब प्रदेश में केंद्र की एजेंसी ED की इंट्री हुई और छापों का दौर शुरू हो गया। ED ने कोयला लेवी वसूली, नान घोटाला सहित कुछ अन्य मामलों में लगातार कार्रवाई की और कई बड़े अधिकारियों और दलालनुमा लोगों को गिरफ्तार किया। इस बीच राज्य की एजेंसियों EOW और ACB ने पूरी तरह तटस्थता बरती और प्रदेश में भ्रष्टाचार संबंधी किसी भी मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की। इसको लेकर सरकार की ओर से कोई दबाव था या फिर दोनों एजेंसियों का भारी-भरकम अमले ने कोई रूचि नहीं दिखाई, इस बात को अच्छी तरह समझा जा सकता है।

दर्ज प्रकरणों की स्थिति भी जस की तस

EOW की कार्रवाइयों के बारे में सरकार ने जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक अधिकांश प्रकरण लंबित पड़े हुए हैं, वहीं एक प्रकरण अभियोजन की स्वीकृति के लिए संबंधित विभाग को भेजा गया है। केवल 2 प्रकरण में ही चालान प्रस्तुत किया गया है और एक प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच पर रोक लगाई गई है। सच तो यह है कि कांग्रेस की सरकार के पूर्व के समय के भी कई प्रकरण सालों से लंबित पड़े हैं, और उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

हर रोज पहुंचती हैं शिकायतें

राज्य सरकार की दोनों एजेंसियां शासकीय विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार की गहन जांच के बाद कार्रवाई करती हैं। ऐसा नहीं है कि बीते 38 महीनों में EOW में कोई शिकायत नहीं पहुंची, बल्कि सूत्र बताते हैं कि EOW और ACB के दफ्तर में हर रोज औसतन दर्जन भर शिकायतें पहुंचती हैं। मगर उस पर कोई भी ध्यान नहीं दिया गया। हालांकि अभी भी सरकार की दोनों एजेंसियों के कामकाज में कोई सक्रियता नजर नहीं आ रही है, केवल उन 4 प्रकरणों को छोड़कर जो ED द्वारा दर्ज कराई गई हैं।

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