Uncategorized

छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में मात्र 6 महीनों में पूरी होती हैं हर मनोकामना…जानें यहां की मान्यता

 दुर्ग : छत्तीसगढ़ में बहुत से प्राचीन मंदिर हैं और हर मंदिर का अपना एक अलग महत्त्व हैं. और हर एक मंदिर की अलग-अलग मान्यता हैं. छत्तीसगढ़ में जितनी भी प्राचीन मंदिर हैं. हर मंदिर में कुछ न कुछ ख़ास बातें होती हैं. जिससे लोगों की आस्था जुडी हुई होती हैं.

ठीक इसी तरह दुर्ग जिला दुर्ग जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर ग्राम देवबलोदा में भगवान शिव प्राचीन मंदिर है। जो काफी रोचक तथ्यों से भरा हुआ हैं. लोग दूर दराज से यहाँ दर्शन करने पहुंचते हैं. मंदिर का नाम छहमासी मंदिर है। रहस्यों से भरे इस मंदिर से जुड़ी कई किवदंतियां हैं। एक कहानी ग्रामीणों ने सुनाई। बताया कि 7वीं शताब्दी में राजा विक्रमादित्य थे, जिन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया। कुछ कहते हैं कि इसका निर्माण 11वीं से 13 वीं शताब्दी के बीच में हुआ है।

पत्थरों से बना है प्राचीन मंदिर
प्राचीन शिव मंदिर पत्थरों से बना है। इन पत्थरों को चूना, गुड़ व अन्य सामग्री के मिश्रण से जोड़ा गया है। इसके हर पत्थर में मां दुर्गा, काली, गणेश व हाथी, घोड़े के अलावा अन्य पौराणिक कलाकृतियां देखने को मिलती हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि पहले छह महीने सिर्फ एक व्यक्ति रात में यह मंदिर बनाता था। इस वजह से इसे छहमासी मंदिर कहा जाता है।

इस वजह से अधूरा रह गया मंदिर
गांव के जानकार बताते है कि शिल्पकार की पत्नी रोज खाना लेकर आती थी। एक दिन उसकी बहन खाना लेकर आई। कारीगर नग्न अवस्था में मंदिर का निर्माण कर रहा था। अपनी बहन को देखकर वह मंदिर के निकट स्थित कुंड में कूद गया। उसकी बहन मंदिर के पीछे स्थित तालाब में कूद गई। इस वजह से मंदिर के ऊपर गुम्बद का निर्माण नहीं हो पाया। मंदिर अधूरा रह गया। आज भी इसी हालत में लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं।

छह महीने में पूरी हो जाती है हर मनोकामना
इस प्राचीन मंदिर से लोगों की आस्था ऐसी है कि कोई भी मनोकामना छह महीने में पूरी हो जाती है। हर साल देशभर से करीब 2 से 3 लाख लोग दर्शन करने आते है। यहां पर महाशिवरात्रि में तीन दिनों का मेला भी लगता है। मेले के दौरान भक्तों की भीड़ दोगुनी हो जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button