मस्तूरी। क्षेत्र से मजदुरों का पलायन जोर शोर से शुरू हो गया है और बड़ी संख्या में मस्तूरी क्षेत्र के लोग पलायन कर जीवन यापन करने के लिए अन्य राज्य जा रहे है। इन लोगो का मानना है कि इन्हें मस्तूरी क्षेत्र में रोजगार नही मिलता जिस वजह से यहां से बड़ी संख्या में लोग पलायन करते है।
कोरोना काल के आकड़ो के अनुसार मस्तूरी क्षेत्र से तकरीबन 70 हजार लोग हर साल पलायन कर जीवन यापन करते है। पलायन करने की वजह यहां लोगो को पर्याप्त मात्रा में रोजगार नही मिल पाना है। लिहाजा लोग हर साल पलायन करते है।
शासन द्वारा गरीब परिवारों को मनरेगा के तहत रोजगार देने का दावा करती है। लेकिन मस्तूरी क्षेत्र में ऐसा नही है। अधिकारियों की सुस्त रवैये की वजह से लोगो को रोजगार नही मिल पाता है। मनरेगा में अब सिर्फ आवास योजना का चल रहा है,आज की स्थिति में लोगो को रोजगार मिलना चाहिए था लेकिन ऐसा नही है। अभी भी क्षेत्र में काम शुरू नही हुआ है। लोगो को मनरेगा से रोजगार नही मिल रहा है। लिहाजा लोग पलायन करने को मजबूर है। वही मनरेगा को लेकर क्षेत्र की लोगो मे उत्साह नही दिख रहा है। क्योंकि या तो मजदूरों को समय पर भुगतान नही होता या फिर उनके लिए राशि काफी कम है। वजह कुछ भी हो गरीब तपके के लोगो का भला होते नही दिख रहा है।
क्षेत्र में लगातार पलायन हो रही है जिसकी जानकारी जनप्रतिनिधि सहित आला अधिकारियों को है। लेकिन कोई इस गंभीर बीमारी (पलायन) को रोकने के लिए सामने क्यों नही आते है। श्रम विभाग में कई योजना चलाये जा रहे है बावजूद जो वास्तव में इन योजनोओ का लाभ लेने वाले गरीब वर्ग के लोगो है उन्हें इनका फायदा ही नही मिल पा रहा है।
क्षेत्र में दलाल (सरदार) सक्रिय,चला रहे संगठन, मस्तूरी क्षेत्र में दलाल सरदार सक्रिय है बिना लाईसेंस के तकरीबन 80 से ज्यादा दलाल क्षेत्र में सक्रिय है जो लोगो को पलायन कराते है। लेवरो के एवज में मोटी रकम लेकर उन्हें कम कीमत देकर इट बनाने भेज देते है। जब मजदूरों का हिसाब किताब होता है तब पता चलता है कि उनके हिस्से का कमाई दलाल अपनी कमीशन के रूप में ले लिया है। फिर मजदूरी की झगड़ा इट संचालको से होती है और उन्हें बंधक बना कर काम कराया जाता है। उत्तर प्रदेश,गुजरात, मध्यप्रदेश, कलकत्ता, जैसे शहरों में लोगों को पलायन कराया जा रहा है,इस पर शासन द्वारा कोई रोक लगाया नही जा रहा है।
दो महीने बाद प्रदेश में पंचायत चुनाव है, ऐसे में मस्तूरी क्षेत्र के हजारों लोग पलायन कर रहे हैं जिसमें वोट प्रतिशत में कमी आने की भरपूर संभावनाएं दिख रही है, शासन प्रशासन में बैठे जवाबदार लोग इस और ध्यान नहीं दे रहे हैं जिस वजह से मस्तूरी क्षेत्र में पलायन करने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
हर ग्राम पंचायत में पलायन के लिए पलायन पंजी रखा जाता है जिसमें ग्राम पंचायत सचिव या सरपंच ग्राम के कोई भी व्यक्ति के कहीं पलायन जाते हैं तो उसका कौन किनके साथ किस शहर या जगह जा रहे हैं उसका लेखा जोखा पंचायत के पास रखे रहते हैं ताकि जरूरत एवं मुसीबत पढ़ने पर पंचायत वालों को उसकी जानकारी रहे, लेकिन पलायन करवाने वाले दलाल, मजदूरों को पलायन करने से पहले पंचायत के पलायन पंजी में किसी का रिकॉर्ड ही नहीं चढ़वाते, लिहाजा समय वक्त पर किसी जगह बंधक य मुसीबत में फसाते हैं तो पलायन कराने वाले दलाल अपना जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।
वही पुलिसिंग व्यवस्था को लेकर भी अब सवाल लोगों के मन में उठने लगा है कि,बाईक में तीन सवारी चलने पर चलान काटने के नाम पर जहां आऐ दिन पब्लिक को परेशान करते हैं,तो वहीं मस्तूरी क्षेत्र में सड़क किनारे मुख्य मार्ग पर दो दो पुलिस थाना पचपेडीं और मस्तूरी उपस्थित है उन्हीं के सामने बसों में खचाखच भिड़ के साथ वाहनों में बस आटों पिकप में क्षमता से अधिक मजदूरों को ठुश ठुश कर बस में भरकर यातायात नियमों का भी खुब धध्जियां उडाया ज रहा है और क्षेत्रीय थाना के पुलिस देख कर अनदेखा कर रहे हैं।
श्रम आयुक्त ज्योति शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि हर ब्लॉक में एक लेबर इंस्पेक्टर की नियुक्ति किया गया है, जो क्षेत्रीय थाना से सहयोग लेते हुए बिना लाइसेंस के लोगों को पलायन करने वाले लेबर सरदारों पर कार्यवाही करते हुए श्रम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है,अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो लेबर स्पेक्टर को बोला जाऐगा।
वही मस्तूरी क्षेत्र के लेबर स्पेक्टर चंद्रभान पटेल की कार्य क्षेत्र में दिखाई नहीं दे रहा है, इस ख़बर के सम्बंध में जब उनको फोन के माध्यम से जानकारी लेने के लिए काल किया जा रहा है तो फोन काल रिसिविंग नहीं कर रहे हैं,अगर अंदाजा लगाया आऐ तो सिधा सिधा दलालो से उनकी मिलीभगत की बु आ रही है।